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शब्द रूपान्तरण , लिंग , वचन

By Admin@guru

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शब्द रूपांतरण, लिंग,वचन 

हेलो दोस्तों ! एक बार फिर से स्वागत है आप सभी का, आज हम पढ़ेंगे हिंदी व्याकरण में शब्द रूपांतरण, लिंग और वचन । हिंदी भाषा के शब्दों में लिंग व वचन के आधार पर उन शब्दों को रूपांतरित कैसे किया जाता है।

🔹🔷 शब्द रूपान्तरण 🔷🔹

परिभाषा :-

विकारी शब्दों ( संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण व क्रिया ) में विकार उत्पन्न करने वाले कारकों को विकारक कहते हैं । लिंग, वचन, कारक, काल तथा वाच्य से शब्द के रूप में परिवर्तन होता हैं, अतः ये सभी विकारक कहलाते हैं।

(क)  लिंग :

लिंग शब्द का अर्थ होता है चिन्ह या पहचान । हिंदी व्याकरण के अंतर्गत लिंग उसे कहते हैं, जिसके द्वारा किसी विकारी शब्द के स्त्री या पुरुष जाति का होने का बोध होता है।

लिंग के प्रकार :-

हिन्दी भाषा में लिंग दो प्रकार के होते हैं –

(i) पुल्लिंग  व

(ii) स्त्रीलिंग ।

(i) पुल्लिंग :-

वे शब्द, जिसके द्वारा किसी विकारी शब्द की पुरुष जाति का बोध होता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं ।

जैसे – गोविन्द, अध्यापक, मेरा, काला, जाता आदि ।

(ii) स्त्रीलिंग :-

वे शब्द, जिसके द्वारा किसी विकारी शब्द की स्त्री जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं ।

जैसे –  सीता, अध्यापिका, मेरी, काली, जाती आदि ।

लिंग की पहचान :-

हिन्दी भाषा में लिंग की पहचान शब्दों के व्यवहार से होती है । कुछ शब्द सदा पुल्लिंग रहते हैं तो कुछ शब्द सदा स्त्रीलिंग । कुछ शब्द परंपरा के कारण पुल्लिंग या स्त्रीलिंग में प्रयुक्त होती हैं ।

1. पुल्लिंग संज्ञा शब्दों की पहचान :

(i) प्राणी वाचक पुल्लिंग संज्ञाएं :-

जैसे –  पुरुष, आदमी, मनुष्य, लड़का, शेर, चीता, हाथी, कुत्ता, घोड़ा, बैल, बन्दर, पशु, खरगोश, गैण्डा, मेंढ़क, सांप, मच्छर, तोता, बाज, मोर, कबूतर, कौवा, उल्लू, खटमल, कछुआ आदि ।

(ii)  अप्राणी वाचक संज्ञाएं :-

निम्न संज्ञाएं सदैव पुलिंग में ही प्रयुक्त होती हैं ।

(अ) पर्वतों के नाम  :-  हिमालय, विंध्याचल, अरावली, कैलास, अल्पास आदि ।

(आ) महीनों के नाम  :-  भारतीय महीनों तथा अंग्रेजी महीनों के नाम –

जैसे-  चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, जनवरी, फरवरी, मार्च आदि ।

(इ) दिन या वारों के नाम :- सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार व शनिवार ।

(ई) देशों के नाम  :-  भारत, अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस, इंडोनेशिया आदि । [ अपवाद – श्रीलंका (स्त्रीलिंग) ]

(उ) ग्रहों के नाम :- सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, शुक्र, राहु, केतु, अरुण, वरुण, यम । [ अपवाद – पृथ्वी (स्त्रीलिंग)]

(ऊ) धातुओं के नाम :-  सोना, ताम्बा, लोहा, पीतल आदि ।[अपवाद – चांदी (स्त्रीलिंग)]

(ए) वृक्षों के नाम  :-  नीम, बरगद, बबूल, आम, पीपल, अशोक आदि । [ अपवाद – इमली (स्त्रीलिंग)]

(ऐ) अनाजों के नाम :-  चावल, गेहूं, बाजरा, जौ आदि ।          [ अपवाद – ज्वार (स्त्रीलिंग)]

(ओ) द्रव पदार्थों के नाम  :-  दूध, तेल, घी, शर्बत, मक्खन, पानी आदि । [ अपवाद – लस्सी, चाय (स्त्रीलिंग)]

(औ) समय सूचक नाम  :-  क्षण, सेकण्ड, मिनट, घण्टा, दिन, सप्ताह, पक्ष, माह आदि ।[ अपवाद – रात, सायं, सन्ध्या, दोपहर (स्त्रीलिंग)]

(क) वर्णमाला के वर्ण :-  सभी स्वर तथा क से ह तक सभी व्यंजन । [ अपवाद – इ, ई, ऋ (स्त्रीलिंग)]

(ख) समुन्द्रो के नाम  :-  हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर, अरब सागर आदि ।

(ग) मूल्यवान पत्थर व रत्नों के नाम  :-  हीरा, पुखराज, नीलम, पन्ना, मोती, माणिक्य आदि । [ अपवाद – मणि, लाल (स्त्रीलिंग)]

(घ) शरीर के अंगों के नाम  :-  सिर, बाल, नाक, कान, दाॅंत, गाल, हाथ, पैर, ओंठ, मुंह आदि ।   [ अपवाद – गर्दन, जीभ, अंगुली (स्त्रीलिंग)]

(ङ) देवताओं के नाम :-  वरुण, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम आदि ।

(च) आपा, आव, आवा, आर, अ, अन, ईय, एरा, त्व, दान, पन, खाना, वाला आदि प्रत्यय युक्त शब्द :-

जैसे  –  बुढ़ापा, चुनाव, पहनावा, सुनार, न्याय, दर्शन, पूजनीय, चचेरा, देवत्व, फूलदान, बचपन, सौन्दर्य,  डाकखाना, दूधवाला आदि ।

(छ) ख, जो, न, त्र के अन्त वाले शब्द  :-

जैसे –  सुख, जलज, नयन, शस्त्र आदि ।

2. स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों की पहचान  :

(अ) तिथियों के नाम  :-  प्रथमा, द्वितीया, तृतीया, एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा आदि ।

(आ) भाषाओं के नाम  :-  हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू,  जापानी, मलयालम आदि ।

(इ) लिपियों के नाम  :-  देवनागरी, रोमन, गुरुमुखी, अरबी, फारसी आदि ।

(ई) बोलियों के नाम  :-  ब्रज, भोजपुरी, हरियाणवी, अवधी, राजस्थानी, गुजराती आदि ।

(उ) नदियों के नाम  :- गंगा, गोदावरी, व्यास, ब्रह्मपुत्र, यमुना आदि ।

(ऊ) नक्षत्रों के नाम  :-  रोहिणी, अश्विनी, भरणी आदि ।

(ए) देवियों के नाम  :-  दुर्गा, रमा, ब्रह्माणी, उमा, गायत्री आदि ।

(ऐ) महिलाओं के नाम :-  आशा, शबनम, रजिया, सीता, प्रियंका आदि ।

(ओ) लताओं के नाम :- अमर बेल, मालती, तोरई आदि ।

(औ) आ, आई, आइन, आनी, आवट, आहट, इया, ई, तो, ता, ति, आदि प्रत्यय युक्त शब्द ।

जैसे  –  छात्रा, मिठाई, ठकुराइन, नौकरानी, सजावट, घबराहट, गुड़िया, गरीबी, ताकत, मानवता, नीति आदि ।

लिंग परिवर्तन :

पुल्लिंग शब्दों से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के कतिपय नियम

1. शब्दान्त ‘अ’ को ‘आ’ में बदलकर –

छात्र – छात्रा           पूज्य – पूज्या              सुत – सुता   वृद्ध – वृद्धा          भवदीय- भवदीया     अनुज – अनुजा आदि ।

2. शब्दान्त ‘अ’ को ‘ई’ में बदलकर –

देव – देवी                 पुत्र – पुत्री                  गोप – गोपी ब्राह्मण – ब्राह्मणी     मेंढ़क – मेंढ़की              दास – दासी  आदि ।

3. शब्दान्त ‘आ’ को ‘ई’ में बदलकर –

नाना – नानी           लड़का – लड़की           घोड़ा – घोड़ी बेटा – बेटी                रस्सा – रस्सी             चाचा – चाची आदि ।

4. शब्दान्त ‘आ’ को ‘इया’ में बदलकर –

बुड्ढा – बुुढ़िया            चूहा – चुहिया          कुत्ता – कुतिया डिब्बा – डिबिया        बेटा – बिटिया          लोटा – लुटिया आदि ।

5. शब्दान्त प्रत्यय ‘अक’ को ‘इका’ में बदलकर –

बालक – बालिका      लेखक – लेखिका    नायक – नायिका पाठक – पाठिका      गायक – गायिका   विधायक – विधायक आदि ।

6. ‘आनी’ प्रत्यय लगाकर –

देवर – देवरानी        चौधरी – चौधरानी         सेठ – सेठानी भव – भवानी           जेठ – जेठानी  आदि ।

7. ‘नी’ प्रत्यय लगाकर –

शेर – शेरनी             मोर – मोरनी             जाट – जाटनी सिंह – सिंहनी         ऊॅंट – ऊॅंटनी              भील – भीलनी आदि ।

8. शब्दान्त में ‘ई’ के स्थान पर ‘इनी’ लगाकर  –

हाथी – हथिनी       तपस्वी – तपस्विनी       स्वामी – स्वामिनी  आदि ।

9. ‘इन’ प्रत्यय लगाकर –

माली – मालिनी      चमार – चमारिन          धोबी – धोबिन नाई – नाइन           कुम्हार – कुम्हारिन      सुनार – सुनारिन

10. ‘आइन’ प्रत्यय लगाकर –

चौधरी – चौधराइन     ठाकुर – ठकुराइन     मुंशी – मुंशियाइन

11. शब्दान्त ‘वान’ के स्थान पर ‘वती’ प्रत्यय लगाकर –

गुणवान – गुणवती    पुत्रवान – पुत्रवती    भगवान – भगवती बलवान – बलवती   भाग्यवान-भाग्यवती   सत्यवान-सत्यवती आदि ।

12. शब्दान्त ‘मान’ के स्थान पर ‘मती’ प्रत्यय लगाकर –

श्रीमान् – श्रीमती   बुद्धिमान्-बुद्धिमती   आयुष्मान्-आयुष्मती आदि ।

13. शब्दान्त ‘ता’ के स्थान पर ‘त्री’ लगाकर –

कर्त्ता – कर्त्री              नेता – नेत्री                 दाता – दात्री

14. शब्द के पूर्व में ‘मादा’ शब्द लगाकर –

खरगोश – मादा खरगोश              भेड़िया – मादा भेड़िया भालू – मादा भालू आदि ।

15. भिन्न रूप वाले कतिपय शब्द –

कवि – कवयित्री           वर – वधू              विद्वान – विदुषी वीर – वीरांगना           मर्द – औरत            साधु – साध्वी दुल्हा – दुल्हन             नर – नारी               बैल – गाय       राजा – रानी             पुरुष – स्त्री          भाई – भाभी/बहिन बादशाह – बेगम         युवक – युवती        ससुर – सास         आदि ।

विशेष :

1.  तारा, देवता, व्यक्ति, आदि शब्द संस्कृत में स्त्रीलिंग होते हैं किंतु हिन्दी में पुल्लिंग होते हैं ।

2. आत्मा, बूॅंद, देह, बाहु आदि शब्द संस्कृत में पुल्लिंग होते हैं किंतु हिन्दी में स्त्रीलिंग होते हैं ।

3. संस्कृत में ‘इमा’ प्रत्यान्तक शब्द यथा – महिमा, गरिमा, लघिमा, सीमा, आदि पुलिंग होते हैं किंतु हिन्दी में ये शब्द, तत्सम शब्द होते हुए भी स्त्रीलिंग होते हैं ।

4. ‘अ’ प्रत्यान्तक – ( जय, विजय, पराजय) संस्कृत में पुल्लिंग होते हैं किंतु हिंदी में स्त्रीलिंग होते हैं ।

5. कृत और तद्धित प्रत्ययों से बने विशेषण या कृतवाच्य शब्द स्त्रीलिंग या पुल्लिंग शब्द के साथ यथावत ही प्रयुक्त होते हैं । जैसे – आकर्षक – दृश्य या घटना । देदीप्यमान- प्रकाश या ज्योति । परिचित – पुरुष या महिला । धार्मिक – संगठन या संस्था । धर्मज्ञ – पुरुष या नारी ।

6. सर्वनाम में लिंग के आधार पर कोई परिवर्तन नहीं होता हैं।

7. निम्न पदवाची शब्दों में भी लिंग परिवर्तन नहीं होता है। राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, मन्त्री, डाक्टर, मैनेजर, प्रिंसिपल आदि।

(ख) वचन :

सामान्यतः वचन शब्द का प्रयोग किसी के द्वारा कहे गए कथन अथवा दिए गए आश्वासन के अर्थ में किया जाता है, किन्तु व्याकरण में वचन का अर्थ संख्या से लिया जाता हैं । अर्थात् वह, जिसके द्वारा किसी विकारी शब्द की संख्या का बोध होता है, उसे बचा कहते हैं ।

वचन के प्रकार :-

हिन्दी भाषा में वचन दो प्रकार के होते हैं –

(i) एकवचन व

(ii) बहुवचन ।

(i) एकवचन :-

किसी वकारी पद के जिस रुप से किसी एक संख्या का बोध होता हैं, उसे एक वचन कहते हैं ।

जैसे – भरत, लड़का, मेरा, काला, जाता है आदि शब्द हिन्दी भाषा में निम्न शब्द सदैव एक वचन में ही प्रयुक्त होते हैं ।

सोना,चाॅंदी, लोहा, स्टील, पानी, दूध, जनता, आग, आकाश, घी, सत्य, झूठ, मिठास, प्रेम, मोहे, सामान, ताश, सहायता, तेल, वर्षा, जल, क्रोध, क्षमा आदि ।

(ii) बहुवचन :-

किसी विकारी पद के जिस रुप से किसी शब्द की एक से अधिक संख्या का बोध होता हैं, उसे बहुवचन कहते हैं ।

जैसे – लड़के, मेरे, काले, जाते हैं आदि ।

हिन्दी भाषा में निम्न शब्द सदैव बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं – जैसे – ऑंसू, होश, दर्शन, हस्ताक्षर, प्राण, भाग्य, आदरणीय व्यक्ति हेतु प्रयुक्त शब्द आप, दाम, समाचार, बाल, लोग,  होश, हाल-चाल आदि ।

वचन परिवर्तन :-

हिंदी व्याकरण अनुसार एकवचन शब्दों को बहुवचन में परिवर्तित करने हेतु कतिपय विद नियमों का उपयोग किया जाता है ।

1. शब्दान्त ‘आ’ को ‘ए’ में बदलकर –

कमरा – कमरे           लड़का – लड़के           बस्ता – बस्ते बेटा – बेटे                पपीता – पपीते     रसगुल्ला – रसगुल्ले।

2. शब्दान्त ‘अ’ को ‘ऍं’ में बदलकर –

पुस्तक – पुस्तकें         दाल – दालें                   राह – राहें दीवार – दीवारें          सड़क – सड़कें          कलम – कलमें।

3. शब्दान्त में आये ‘आ’ के साथ ‘ऍं’ जोड़कर-

बाला – बालाऍं        कविता – कविताऍं      कथा – कथाऍं ।

4. ‘ई’ वाले शब्दों के अन्त में ‘इयाॅं’ लगाकर –

दवाई – दवाइयाॅं        लड़की – लड़कियाॅं       साड़ी – साड़ियाॅं नदी – नदियाॅं          खिड़की – खिड़कियाॅं       स्त्री – स्त्रियाॅं ।

5. स्त्रीलिंग शब्द के अन्त में आए ‘या’ को ‘याॅं’ में बदलकर –

चिड़िया – चिड़ियाॅं       डिबिया – डिबियाॅं   गुड़िया – गुड़ियाॅंं।

6. स्त्रीलिंग शब्द के अन्त में आए ‘उ’ , ‘ऊ’ के साथ ‘ऍं’ लगाकर –

वधू – वधूऍं             वस्तु – वस्तुऍं                बहू – बहुऍं ।

7. ‘इ’, ‘ई’ स्वरान्त वाले शब्दों के साथ ‘यों’ लगाकर तथा ‘ई’ की मात्रा को ‘इ’ में बदलकर –

जाति – जातियों      रोटी – रोटियों    अधिकारी – अधिकारियों लाठी – लाठियों      नदी – नदियों            गाड़ी – गाड़ियों ।

8. एकवचन शब्द के साथ जन, गण, वर्ग, वृन्द, हर, मण्डल, परिषद् आदि लगाकर –

गुरु – गुरुजन                        अध्यापक – अध्यापकगण लेखक – लेखकवृन्द                    युवा – युवावर्ग            भक्त – भक्तजन                       खेती – खेतीहर             मन्त्री – मन्त्रि मण्डल आदि ।

विशेष :-

1. सम्बोधन शब्दों में ‘ओं’ न लगाकर ‘ओ’ की मात्रा ही लगानी चाहिए ।

जैसे – भाइयो ! बहनो ! मित्रो ! बच्चो ! साथियो ! आदि ।

2. पारिवारिक सम्बन्धों के वाचक आकारान्त देशज शब्द भी बहुवचन में प्रायः यथावत् ही रहते हैं ।

जैसे – चाचा ( न की चाचे ), माता, दादा, बाबा, किन्तु भानजा,  भतीजा व साला से भानजे, भतीजे व साले  शब्द बनते हैं ।

3. विभक्ति रहित आकारान्त से भिन्न पुल्लिंग शब्द कभी भी परिवर्तित नहीं होते हैं ।

जैसे –  बालक, फूल, अतिथि, हाथी, व्यक्ति, कवि, आदमी, संन्यसी, साधु, पशु, जन्तु, डाकू, उल्लू, लड्डू, रेडियो, फोटो, मोर, शेर, पति, साथी, मोती, गुरु, शत्रु, भालू, आलू, चाकू आदि ।

4. विदेशी शब्दों के हिन्दी में बहु वचन हिन्दी भाषा की व्याकरण के अनुसार बनाए जाने चाहिए न कि विदेशी भाषा कि व्याकरण के अनुसार ।

जैसे – स्कूल से स्कूलें न की स्कूल्स, कागज से कागजों न की कागजात आदि ।

5. भगवान के लिए या निकटता सूचित करने के लिए ‘तू’ का प्रयोग किया जाता हैं ।

जैसे –  हे ईश्वर ! तू बड़ा दयालु है ।

6. निम्न शब्द सदैव एक वचन में ही प्रयुक्त होते हैं ।

जैसे – जनता, वर्षा, हवा, आग आदि ।

 

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