विज्ञान शिक्षण विधियां पार्ट 2

विज्ञान शिक्षण विधियां पार्ट 2

दोस्तों पिछली पोस्ट में हमने विज्ञान शिक्षण विधि की सामान्य जानकारी के बारे में पढ़ा उसके अंतर्गत विज्ञान शिक्षण के अनुसंधान विधि प्रयोगशाला विधि प्रोजेक्ट प्रायोजना विधि समस्या समाधान विधि पर्यटन विधि और अभिक्रमित अनुदेशन विधि के बारे में अध्ययन किया विचार वमर्श विधि इसमें विद्यार्थियों के समक्ष कोई समस्या प्रस्तुत की जाती है जिसके समाधान के लिए कक्षा के विद्यार्थी अनेक समूह में विभक्त कर दिए जाते हैं इस विधि के अंतर्गत विद्यार्थी सक्रिय रहते हैं उन्हें आलोचनात्मक तर्क चिंतन व स्वाध्याय के विकास के लिए इस विधि का प्रयोग करने हेतु स्वतंत्र रूप से छोड़ा जाता है इस विधि के अंतर्गत छात्रों में अनुशासन बनाए रखना कठिन है पाठ्यक्रम धीमी गति से पूरा होता है वैज्ञानिक विधि                                                      वैज्ञानिक विधि के अंतर्गत अध्ययन करने में खोज करने में तर्कपूर्ण ढंग से इस विधि को अपनाया जाता है वैज्ञानिक विधि का उपयोग विज्ञान शिक्षण में प्रमुख रूप से होना चाहिए समय अधिक लगता है                                          वैज्ञानिक विधि के मुख्य चरण                                  समस्या का निर्धारण जितेंद्र कस्टम समस्या को सूक्ष्म दृष्टि से देखता है समस्या क्या है कैसी है वह क्यों में अति प्रसन्न उसके दिमाग में घूमते हैं समस्या से संबंधित तथ्य को इकट्ठा किया जाता है और उनका वर्गीकरण किया जाता है

 

परिकल्पना का निर्माण करना वैज्ञानिक समस्या से संबंधित तथ्य के आंकड़ों को इकट्ठा कर समस्या से संबंधित संभावित समाधान के विषय में सोचता है प्रयोग के आधार पर परिकल्पना की सत्यता की जांच की जाती है निष्कर्ष निकाले जाते हैं वह सिद्धांत का प्रतिपादन किया जाता है और उसके बाद में नवीन परिस्थितियों में ज्ञान का उपयोग किया जाता है विशेषताएं वैज्ञानिक विधि के अंतर्गत प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव होता है अनुभव की वृद्धि होती है विज्ञान के प्रत्येक तथ्य का विश्लेषण करके उसके प्रत्येक भाग के बारे में सूक्ष्म व बारीकी से समझने का प्रयत्न किया जाता है वैज्ञानिक विधि पक्षपात रहित रहती है वैज्ञानिक विचार किसी व्यक्ति विशेष की धारणाओं पर निर्भर नहीं रहते वैज्ञानिक विधि सत्य की खोज करती है वह सत्य को ज्ञात करना ही उसका उद्देश्य होता है विज्ञान वस्तुनिष्ठ  मापन पर मापन यंत्रों का शोधन होगा उसमें सूक्ष्मता आती है और यह हमारे लिए नई ज्ञान को ले करके आती है

पाठ्यपुस्तक विधि अध्यापक विद्यार्थियों को बारी-बारी से किसी पाठ के अंश को पढ़ाते हैं वह बीच-बीच में उसके अर्थ बताते हुए जाते हैं इसे पाठ्यपुस्तक विधि कहते हैं इस विधि के अंतर्गत अध्यापक और छात्र दोनों ही सक्रिय भूमिका में रहते हैं छोटी कक्षाओं के लिए यह शिक्षण विधि अति महत्वपूर्ण है

व्याख्या विधि  व्याख्या विधि को भाषण विधि के नाम से भी जाना जाता है इस में शिक्षक की भूमिका प्रमुख होती है तथा छात्र निष्क्रिय अवस्था में बैठे रहते हैं व्याख्यान विधि के अंतर्गत छात्रों के लिए नीरस होती है अरुचिकर होती है छात्रों में रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है छात्र अक्रियाशील अवस्था में रहते हैं और यह एक मनोवैज्ञानिक विधि है

प्रश्नोत्तर विधि प्रश्नोत्तर विधि के जनक सुकरात को माना जाता है प्रश्नोत्तर विधि का शिक्षण की प्रभावशीलता को बढ़ाता है क्योंकि गतिविधि आधारित है जिसमें शिक्षण कार्य में विद्यार्थी की सहभागिता बढ़ती है

विज्ञान शिक्षण के साधन।                                            चार्ट    चार्ट पर चित्र बनाए जा सकते हैं रेखा चित्र बनाए जा सकते हैं आंकड़े प्रस्तुत किए जा सकते हैं विशेष जटिल विचारों को चित्रों के माध्यम से चार्ट पर प्रस्तुत किया जा सकता है और उन्हें आसानी से समझाया जा सकता है।     चित्र    आवश्यकता अनुसार चित्रों के अनुसार दीवारों पर प्रक्षेपित किया जाता है जिससे विद्यार्थियों की वैज्ञानिक समस्याओं को आसानी से समझा जा सकता है।        श्यामपट्ट    श्यामपट्ट शिक्षक का परम मित्र कहा जाता है श्यामपट्ट कार्य में अध्यापक की कुशलता शिक्षण को बहुत अधिक लाभान्वित बना सकती है श्यामपट्ट दृश्य सामग्री में शामिल किया जाता है।                                          बुलेटिन बोर्ड     सार्वजनिक सूचना के लिए यह सबसे अच्छा साधन है विज्ञान कक्षा में प्रयोगशाला के उपयोग के बारे में बहुत सी सूचनाएं इस पर लिख कर लगाई जा सकती है

प्रयोगशाला विधि

इस विधि के विकास का श्रेय राष्ट्रीय प्रशिक्षण प्रयोगशाला बिथले माइने को है मुख्य उद्देश्य व्याख्यान विधि के दोष को दूर करना है इस विधि के द्वारा छात्रों में अनुसंधान की प्रवृत्ति का  विकास किया जाता है इसमें छात्र विभिन्न प्रयोगों के बाद सिद्धांतों या सुत्र की स्थापना करते हैं इस विधि के द्वारा करके सीखना और निरीक्षण करके सीखने के सिद्धांत पर आधारित है गणित शिक्षण में विभिन्न प्रकार के नापतोल का ज्ञान कराने के लिए प्रयोगशाला विधि काम में ली जाती है यह माध्यमिक कक्षाओं के लिए सर्वाधिक उपयोगी मानी जाती है प्रयोगशाला विधि क्रियात्मक विधि है जो पूर्ण रूप से क्रिया पर आधारित है इस विधि के द्वारा बालक नियम व तथ्यों की जांच करता है

प्रयोगशाला विधि में बालक ज्ञान को प्राप्त करने के लिए प्रयोग द्वारा सीखता है इसी वजह से यह प्रयोगशाला विधि कही जाती है साथ में यह विधि प्रयोगशाला नहीं की जा सकती है

प्रयोगशाला विधि में प्रयुक्त शिक्षण सूत्र

ज्ञात से अज्ञात, स्थूल से सूक्ष्म, अनुभव से तर्क, विशिष्ट से सामान्य

प्रयोगशाला विधि मनोवैज्ञानिक विधि है क्योंकि इसके अंतर्गत बालक अपनी रूच यह बाल केंद्रित विधि है इस विधि में बालक वैज्ञानिक की तरह सोचता है चिंतन करता है समस्या का हल खोजता है निरीक्षण करता है वह परीक्षण भी करता है इस विधि के द्वारा प्राप्त ज्ञान इस पर स्टोरी स्थाई होता है प्योर तरीके हैं करके सीखने के सिद्धांत पर आधारित है वैज्ञानिक विधि के द्वारा छात्रों की अभिवृत् का विकास होता है

अभिक्रमित अनुदेशन विधि

अभिकमित अनुदेशन विधि के जनक बी एफ स्कीनर है। बी.एफ. स्कीनर ने डॉ. प्रेसी के सहयोग से इस विधि का निर्माण 1854 में किया। डॉ. सिडनी एल. प्रेसी ने शिक्षण मशीन का निर्माण तथा सर्वप्रथम शिक्षण मशीन का प्रयोग किया।  यह विधि पुनर्बलन के सिद्धान्त पर अधारित है।। इस विधि का प्रतिपादन बी.एफ स्कीनर ने अपनी 11 वर्षाय बेटी बेरी की अधिगम समस्या के समाधान हेतु तथा मानसिक रूप से पिछडे छात्रो के लिए किया। इस विधि मे पाठ्य पुस्त्तक को छोटे-छोटे टुकडों में विभाजित किया। इन छोटे दुकडो को शिक्षण पद कहतें है स्कीनर ने हार्वर्ड विश्वि्यालय (अमेरिका) मे प्रोफेसर थे। अभिक्रमित अनुदेशन विधि का दूसरा नाम आपरे्ट प्रतिबद्ध अनुक्रिया शिक्षण प्रतिमान है। इस विधि में शिक्षक की आवश्वकता नहीं होती है।

अभिक्रमित अनदेशन विधि के गुणः

1. बालकों में स्वाध्याय की आदत का विकास।                 2. आत्मनिर्भरता व आत्मविश्वास पैदा होता है।                 3. प्राप्त ज्ञान स्थायी।                                                  4 . बाल केन्द्रित।                                                         5. मनोवैज्ञानिक – व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित।        6. स्वगति व स्वयं के प्रयासों से सीखता है।                       7. छात्र पूर्णतः: क्रियाशील (स्किय) रहता है।                    8. तार्किक विश्लेषण – तर्क पुर्ण व तारतम्यता पूर्ण क्रमबद्धता 9. पुर्बलन या प्रतिपुष्टि के सिद्धान्त पर आधारित।             10.छात्र सवयं उत्तरों की जॉच ।                                   11. शिक्षक की आवश्यकता नहीं ।

 

 

विज्ञान शिक्षण व शिक्षण विधियां.

अधिगम, अधिगम के सिद्धांत

मनोविज्ञान, शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सम्प्रदाय,शिक्षा मनोविज्ञान की अध्ययन पद्धतियां

उपसर्ग – परिभाषा, भेद और उदाहरण

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